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Friday 13 June, 2008

ज्ञान

ज्ञान
एक गोपाल है । एक मित्र के ज्ञान में एक मित्र के ज्ञान में है ।
एक दूसरे के उत्थान में ज्ञान ज्ञान का बोझ है , यदि ऐसा नहीं होता है आप मुफ़्त में सेट है।
सब कुछ नए ज्ञान रखता है । आपके पास पहले ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में , और फिर विश्वास निम्नानुसार है ।
आध्यात्मिकता में , विश्वास की बात पहले आती है , और तब ज्ञान निम्नानुसार है । जब आप आनन्द का पालन करें , दुःख के बाद आप पर है ।
जब आप का पालन ज्ञान , निम्नानुसार मजा आप पर है ।
त्रुटि भ्रम की धारणा है और भ्रम के रूप में जानते ज्ञान भ्रम है । भग्न एक उत्पाद के सीमित ज्ञान है ।
क्योंकि जाग में से एक है जो ज्ञान , अधिक पीड़ित नहीं है ।

क्रोध

क्रोध में अज्ञानता के सस्ते है और एक मुस्कान है महँगा मुस्कान सस्ता है और आप अपने क्रोध महंगा है । इस गुस्से की प्रबुद्ध है आशीष

सेवा

यदि आपके पास नहीं हैं ध्यान में अच्छा अनुभव है , तो आप सेवा करते हैं और अधिक लाभ होगा और आपकी योग्यता के आधार पर गहराई से ध्यान दिया जाएगा।
जब आप लाने के लिए किसी को कुछ राहत स्वतंत्रता या सेवा के माध्यम से , अच्छे कंपन करने के लिए आते हैं और आप आशीर्वाद है।
सेवा योग्यता के आधार पर ले आता है ; जाने की योग्यता की मदद से आप ध्यान में गहरी ; ध्यान अपनी मुस्कान वापस ले आता है ।
जब आप की सेवा में जीवन का एकमात्र उद्देश्य , यह भय समाप्त , आपके मन में केंद्रित है , और आपको अर्थ चाहे किसी भी अवसर के लिए आभारी सेवा करना है ।

Sunday 18 May, 2008

इन बंद बिगड़े दिमागों में घनी खुशबू के लछे हैं ,
हम पागल थे पागल हैं पागल ही अच्छे हैं ।

Sunday 11 May, 2008

इच्छाएँ

इच्छाएँ खुशी को खत्म करती हैं, लेकिन सभी इच्छओं का लक्ष्य है खुशी। जब भी जीवन से खुशी गायब होने लगे, भीतर गहराई में झाँककर देखो- तुम पाओंगे यह इच्छा के कारण हो रहा हैं।
लेकिन हमारी इच्छा ही केवल खुशी है। कोई जीव आज तक पैदा नही हुआ जिसे दु:ख की चाह हो - न ऐसा पहले कभी हुआ है, न भविष्य में होगा।
जब तुम्हारा छोटा मन इधर - उधर, सब जगह भागते -भागते थक जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है, "मेरी इच्छाओं ने मेरी खुशी छीन ली है।"

भूल

गलती को सुधारने की चाह कर्तापन लाती है और कर्तापन गलतियाँ का आधार है। प्राय: जो गलतियाँ को सुधारने का प्रयत्न करते हैं, वे और अधिक गलतियों में फँस जाते हैं । पर जो गलतियों को पहचान लेते हैं, वे उनसे मुक्त हो जाते हैं।
अकसर जब हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, हम उसकी जिम्मेवारी लिए बिना सफ़ाई देने की चेष्टा करते हैं । और कभी-कभी हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, पर उसके लिए दोषी महसूस करते हैं। जब हमें विवेक कचोटता है या जब दु:ख होता है, तब गलतियां मिट जाती हैं ।
किसी भी कार्य, परिसिथती या व्यक्ति में त्रुटियाँ हो सकती हैं - त्रुटि को फूल की भांति समझो। जिस प्रकार एक फूल को कुछ ले; बाद मुरझा जन है, वैसेही त्रुटि को भी विलुप्त हो जाना है ।

मौन में मौज


हर साँस में प्रार्थना
मौन है
अनंत में प्रेम
मौन है
शब्द-हीन ज्ञान
मौन है
लक्ष्य-हीन करुणा
मौन है
करता-हीन कर्म
मौन है
सृष्टि के संग मुस्कराना
मौन है