वास्तुशास्त्र में ईशान कोण का काफी महत्व है। इसे भगवान शंकर का दिशा जोन भी कहा जाता है। इस दिशा जोन को मानसिक स्पष्टता, निर्णय लेने की क्षमता और पूजा स्थल के नाम से भी हम जानते हैं। मस्तिष्क कैसे काम करता है और कैसे उसकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, ये सब इसी दिशा में पर निर्धारित होता है। इस दिशा जोन का रंग नीला/काला होता है तथा यहां का तत्व मुख्यता जल है। हालांकि यहां पर अग्नि तत्व भी पूर्व की तरफ के हिस्से में प्रबलता से पाया जाता है।
इस देवता का है प्रमुख स्थान
वास्तु देवता यहां पर प्रमुखता से निवास करते हैं। राक्षसों की माता दिति का यहाँ पर मुख्य स्थान है। दिति ऋषि कश्यप की पत्नी थी। उत्तर दिशा के आठवें द्वार को दिति ही निर्धारित करती हैं। (हर दिशा में मुख्यता ८ द्वार होते हैं) बायीं आँख की सेहत और दूरदृष्टि यहीं से निर्धारित होती है तथा मन की द्विविद्ता (Duality) या द्वैतवाद यहीं पर दूर होते हैं। अगर घर में द्वार यहाँ पर हो तो महिलाओं का घर में वर्चस्व ज़्यादा होता है। दूसरे वास्तु देवता यहां पर शिखी हैं जिनका तत्त्व अग्नि है। इसी को भगवा शिव की तीसरी आँख भी कहा जाता है। यहां घर या भवन का पूर्व दिशा की और पहला द्वार भी होता है। मन के सब विचार, नए भाव तथा समझ यहीं पर पैदा होते हैं। यहां द्वार होने से घर में दुर्घटना अथवा आग लगने का ख़तरा रहता है।
इन बातों का रखें विशेष ख्याल
इस दिशा जोन में कभी भी शौच, सेप्टिक टैंक्स, पानी की टंकी, सीढ़ियां, स्टोर, रसोई आदि का निर्माण नहीं करना चाहिए क्यूंकि इस से मानसिक परेशानी बढ़ती है तथा मस्तिष्क से सम्बंधित रोग होते हैं। इनसे आपकी निर्णय लेने की क्षमता में रुकावट आती है तथा नकारात्मक सोच का निर्माण होता है। गृहणी के लिए तो ये ख़ास तौर से बहुत कष्टप्रद होता है। यहां की दीवारों पर लाल, गहरा लाल, गुलाबी तथा बैंगनी रंगो का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नहीं होनी चाहिये ये चीजें
उत्तर पूर्व दिशा चुंबकीय और सौर ऊर्जा का मिलान स्थल है इसलिए ये भगवान शंकर का भी स्थान है। इसलिए इस स्थान पर ये सरंचनाएं नहीं होने चाहिए —
• स्टोर
• सीढ़ियां
• छत पर पानी की टाकी
• शौचालय
• रसोई
• सीवर लाइन्स और नालियां
• बिजली के भरी यंत्र, उपकरण और बिजली के बोर्ड्स
• भारी मशीनरी
• भारी निर्माण
इन उपायों से मिलेगा शुभ फल
1. बच्चे इस दिशा की और देख कर पढ़ाई करें, इस से उन्हें लाभ होगा।
2. नव वर-वधू को इस स्थान पर बने कमरे में कभी भी नहीं सोना चाहिए क्यों कि इस से वैवाहिक जीवन में बाधा पड़ती है तथा तलाक़ होने के खतरे बढ़ जाते हैं।
3. गृहणियों को यहाँ पर गैस के नीचे पीले रंग का संगमरमर का पत्थर रखना चाहिए।
4. इस स्थान पर हमेशा छोटा सा मंदिर बनाएं।
5. इस दिशा जोन में कभी भी सीढ़ी, स्टोर या शौचालय न बनायें। इस से मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारी होने की सम्भावना हो सकती है जैसे कि पैरालिसिस।
6. इस दिशा जोन में लाल, गुलाबी और बैंगनी रंगो का दीवारों पर इस्तेमाल न करें। इस रंग की वस्तुएं भी यहाँ से हटा कर दक्षिण पूर्व दिशा जोन में रख दें। यहाँ पर ज़्यादा करके बिजली के उपकरण भी न रखें। इस दिशा जोन में हलके क्रीम कलर या नीले रंग का इस्तेमाल करें।