अक्सर हम जब परेशानी में होते हैं तो कई बार दूसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन अगर हम कोशिश करें तो ऐसे समय में कुछ संकेत हमें उन मुसीबतों से निजात दिला सकते हैं लेकिन जरुरत है उन्हें समझने की और सही मौके पर उनके उपयोग की। हर समस्या का हल वहीं आस-पास ही होता है जरुरत है सिर्फ उसे तलाश करने की।
एक व्यक्ति को पक्षी पालने का बड़ा शौक था। उसने अपने पिंजरे में कई तरह के पक्षी पाल रखे थे। वह व्यक्ति पक्षियों की भाषा जानता था तथा और अधिक सीखने का प्रयास करता था। एक बार वह किसी दूसरे देश जा रहा था तो उसने पिंजरे में बंद पक्षियों से कहा कि मैं दूसरे देश जा रहा हूं। वहां मैं दूसरे परिंदों से उनकी भाषा सीखने का प्रयास करूंगा। अगर तुम्हें कोई संदेश वहां के अपने रिश्तेदारों को देना हो तो बता दो।
परिंदों ने कहा कि तुम दूसरे देश के हमारे रिश्तेदारों से मिलो तो कहना कि हम स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहे हैं। हम स्वतंत्र होना चाहते हैं।यह सुनकर वह दार्शनिक यात्रा पर निकल गया। एक दिन वह घूमते-घूमते दूसरे देश के जंगल में पहुंच गया। वहां के पक्षियों को देखकर उसने वही संदेश जो पिंजरे में बंद परिदों ने उसे कहा था उन्हें सुनाया। यह सुनकर उन्होंने कहा कि ठीक है जैसा जिसका भाग्य। फिर उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक संत प्रवृत्ति का पक्षी भी है आप उसे यह बात बताईए। और उस व्यक्तिने वह संदेश उस संत प्रवृत्ति वाले परिंदे को भी सुनाई।वह परिंदा गिरा और मर गया। दार्शनिक को बड़ा आश्चर्य हुआ।
थोड़े दिनों बाद जब दार्शनिक वापस अपने घर लौटा तो उसने यह घटना पिंजरे में बंद परिंदों को सुनाई। यह सुनकर पिंजरे में बंद पक्षी भी नीचे गिर गए। उस व्यक्तिने उन्हें निकालने के लिए जैसे ही पिंजरा खोला तो वे सभी पक्षी उड़कर भाग गए। तब दार्शनिक को समझ आया कि परदेश में जो परिंदा गिर कर मर गया था वह वास्तव में मरा नहीं था उसने इनके लिए एक संदेश दिया था।
एक व्यक्ति को पक्षी पालने का बड़ा शौक था। उसने अपने पिंजरे में कई तरह के पक्षी पाल रखे थे। वह व्यक्ति पक्षियों की भाषा जानता था तथा और अधिक सीखने का प्रयास करता था। एक बार वह किसी दूसरे देश जा रहा था तो उसने पिंजरे में बंद पक्षियों से कहा कि मैं दूसरे देश जा रहा हूं। वहां मैं दूसरे परिंदों से उनकी भाषा सीखने का प्रयास करूंगा। अगर तुम्हें कोई संदेश वहां के अपने रिश्तेदारों को देना हो तो बता दो।
परिंदों ने कहा कि तुम दूसरे देश के हमारे रिश्तेदारों से मिलो तो कहना कि हम स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहे हैं। हम स्वतंत्र होना चाहते हैं।यह सुनकर वह दार्शनिक यात्रा पर निकल गया। एक दिन वह घूमते-घूमते दूसरे देश के जंगल में पहुंच गया। वहां के पक्षियों को देखकर उसने वही संदेश जो पिंजरे में बंद परिदों ने उसे कहा था उन्हें सुनाया। यह सुनकर उन्होंने कहा कि ठीक है जैसा जिसका भाग्य। फिर उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक संत प्रवृत्ति का पक्षी भी है आप उसे यह बात बताईए। और उस व्यक्तिने वह संदेश उस संत प्रवृत्ति वाले परिंदे को भी सुनाई।वह परिंदा गिरा और मर गया। दार्शनिक को बड़ा आश्चर्य हुआ।
थोड़े दिनों बाद जब दार्शनिक वापस अपने घर लौटा तो उसने यह घटना पिंजरे में बंद परिंदों को सुनाई। यह सुनकर पिंजरे में बंद पक्षी भी नीचे गिर गए। उस व्यक्तिने उन्हें निकालने के लिए जैसे ही पिंजरा खोला तो वे सभी पक्षी उड़कर भाग गए। तब दार्शनिक को समझ आया कि परदेश में जो परिंदा गिर कर मर गया था वह वास्तव में मरा नहीं था उसने इनके लिए एक संदेश दिया था।
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