इन बंद बिगड़े दिमागों में घनी खुशबू के लछे हैं ,
हम पागल थे पागल हैं पागल ही अच्छे हैं ।
Sunday, 18 May 2008
Sunday, 11 May 2008
इच्छाएँ
इच्छाएँ खुशी को खत्म करती हैं, लेकिन सभी इच्छओं का लक्ष्य है खुशी। जब भी जीवन से खुशी गायब होने लगे, भीतर गहराई में झाँककर देखो- तुम पाओंगे यह इच्छा के कारण हो रहा हैं।
लेकिन हमारी इच्छा ही केवल खुशी है। कोई जीव आज तक पैदा नही हुआ जिसे दु:ख की चाह हो - न ऐसा पहले कभी हुआ है, न भविष्य में होगा।
जब तुम्हारा छोटा मन इधर - उधर, सब जगह भागते -भागते थक जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है, "मेरी इच्छाओं ने मेरी खुशी छीन ली है।"
लेकिन हमारी इच्छा ही केवल खुशी है। कोई जीव आज तक पैदा नही हुआ जिसे दु:ख की चाह हो - न ऐसा पहले कभी हुआ है, न भविष्य में होगा।
जब तुम्हारा छोटा मन इधर - उधर, सब जगह भागते -भागते थक जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है, "मेरी इच्छाओं ने मेरी खुशी छीन ली है।"
भूल
गलती को सुधारने की चाह कर्तापन लाती है और कर्तापन गलतियाँ का आधार है। प्राय: जो गलतियाँ को सुधारने का प्रयत्न करते हैं, वे और अधिक गलतियों में फँस जाते हैं । पर जो गलतियों को पहचान लेते हैं, वे उनसे मुक्त हो जाते हैं।
अकसर जब हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, हम उसकी जिम्मेवारी लिए बिना सफ़ाई देने की चेष्टा करते हैं । और कभी-कभी हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, पर उसके लिए दोषी महसूस करते हैं। जब हमें विवेक कचोटता है या जब दु:ख होता है, तब गलतियां मिट जाती हैं ।
किसी भी कार्य, परिसिथती या व्यक्ति में त्रुटियाँ हो सकती हैं - त्रुटि को फूल की भांति समझो। जिस प्रकार एक फूल को कुछ ले; बाद मुरझा जन है, वैसेही त्रुटि को भी विलुप्त हो जाना है ।
अकसर जब हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, हम उसकी जिम्मेवारी लिए बिना सफ़ाई देने की चेष्टा करते हैं । और कभी-कभी हम स्वीकार करते हैं कि हमने भूल की है, पर उसके लिए दोषी महसूस करते हैं। जब हमें विवेक कचोटता है या जब दु:ख होता है, तब गलतियां मिट जाती हैं ।
किसी भी कार्य, परिसिथती या व्यक्ति में त्रुटियाँ हो सकती हैं - त्रुटि को फूल की भांति समझो। जिस प्रकार एक फूल को कुछ ले; बाद मुरझा जन है, वैसेही त्रुटि को भी विलुप्त हो जाना है ।
मौन में मौज
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