copyscape

Protected by Copyscape Web Plagiarism Finder

Sunday 11 May, 2008

इच्छाएँ

इच्छाएँ खुशी को खत्म करती हैं, लेकिन सभी इच्छओं का लक्ष्य है खुशी। जब भी जीवन से खुशी गायब होने लगे, भीतर गहराई में झाँककर देखो- तुम पाओंगे यह इच्छा के कारण हो रहा हैं।
लेकिन हमारी इच्छा ही केवल खुशी है। कोई जीव आज तक पैदा नही हुआ जिसे दु:ख की चाह हो - न ऐसा पहले कभी हुआ है, न भविष्य में होगा।
जब तुम्हारा छोटा मन इधर - उधर, सब जगह भागते -भागते थक जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है, "मेरी इच्छाओं ने मेरी खुशी छीन ली है।"

No comments: