इच्छाएँ खुशी को खत्म करती हैं, लेकिन सभी इच्छओं का लक्ष्य है खुशी। जब भी जीवन से खुशी गायब होने लगे, भीतर गहराई में झाँककर देखो- तुम पाओंगे यह इच्छा के कारण हो रहा हैं।
लेकिन हमारी इच्छा ही केवल खुशी है। कोई जीव आज तक पैदा नही हुआ जिसे दु:ख की चाह हो - न ऐसा पहले कभी हुआ है, न भविष्य में होगा।
जब तुम्हारा छोटा मन इधर - उधर, सब जगह भागते -भागते थक जाता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है, "मेरी इच्छाओं ने मेरी खुशी छीन ली है।"
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