copyscape

Protected by Copyscape Web Plagiarism Finder

Monday, 11 July 2016

।। कृपा ही कृपा ।।

।।  कृपा ही कृपा ।।
एक कथा है - किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में रखवाया- सन्तों के पीने के लिए!
एक व्यक्ति ने देखा ।वह सोचने लगा -'यह घड़ा कितना भाग्यशाली है कि इसमें गंगाजल भरा गया और अब ये सन्तों के काम आयेगा।'
घड़ा बोल पड़ा-'मैं तो मिट्टी के रूप में शून्य पड़ा था,किसी काम का नहीं था ।कभी नहीं लगता था कि भगवान् ने हमारे साथ न्याय किया है ।फिर एक कुम्हार आया।उसने फावड़ा मार-मारकर हमको खोदा और गधे पर लादकर अपने घर ले गया और वहाँ ले जाकर हमको उसने रौंदा।फिर पानी डालकर गूॅथा और चाकपर चढ़ाकर घुमाया,फिर गला काटा और फिर थापी मार-मारकर बराबर किया ।उसके बाद अबे,आग में जलने को डाल दिया और जब तैयार होकर निकलता तो बाजार में भेज दिया ।वहाँ भी लोग ठोंक-ठोंककर देख रहे थे  कि ठीक है कि नहीं, और कीमत लगायी-10  20  रुपये!
हमको तो इन सबमें भगवान् का अन्याय ही पड़ता था,कृपा थोड़े ही मालुम पड़ती थी!
किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमें गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में भेज दिया, तब मुझे मालूम पड़ा कि कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी भगवान् की कृपा थी, उसका वह गूॅथना भी भगवान् की कृपा थी, आग में जलाना भी भगवान् की कृपा थी और बाजार में लोगों के द्वारा ठोके जाना भी भगवान् की कृपा ही थी।
अब मालुम पड़ा कि सब भगवान् की कृपा ही कृपा थी!
तो  असल में आप ईश्वर की कृपा पर विश्वास करेंगे, तो आप जहाँ भी देखेंगे वहाँ ही आपको "कृपा" मालूम पड़ेगी!  बस, कृपा-ही-कृपा,कृपा-ही-कृपा!
   
     "   प्रभु मूर्ति कृपा मयी है "
प्रभु के पास कृपा  के सिवाय और कोई पूॅजी है ही नहीं ।

केवल कृपा है!!कृपा है!!कृपा है!!
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

No comments: