Thursday, 29 October 2009
विचार मंथन - 3
भोजन कैसे करें ? महाभारत में लिखा है - " एकवस्त्रो न भुञ्जीत ।" केवल एक वस्त्र धारण करके भोजन न करें । भोजन करते समय एक उत्तरीय (दुपट्टा) अवश्य ओढ़ लें । बाहरी वायु शरीर को भोजन के समय प्रभावित न कर सके , इसलिए यह व्यवस्था है। पवित्र भावसे भोजन करें, आज के होटल, रेस्टोरेंट बफे पद्धती वाले तरीके से नहीं। आयुर्वेद कहता है कि स्नान के बाद ही भोजन करें - स्नान, भगवत्पूजा, फिर भोजन । शरीर अस्वस्थ हो तो गीले कपड़े से शरीर पोंछ दें , वस्त्र बदल दें , भस्म स्नान या मानसिक स्नान कर लें। शिवमन्त्रसे अग्निहोत्र की भभूती शरीर पर लगाने से भस्म स्नान हो जाता है। भोजन के पहले भगवान को भोग लगाकर ही भोजन ग्रहण करें। प्रसाद रूप में जब भोजन किया जाता है तो अन्न में अनुचित आसक्ती न रहेगी । गीता भी ३/२२ में यही कहती है।
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