Tuesday, 24 November 2009
विचार मंथन - 11
एक थे वैध जी. उन्हें थी पुराणी खांसी. एक दिन वह एक खांसी के रोगी को कई तरह की गोलियां देकर समझा रहे थे -इन्हें रोज लेना, पांच दिनों में ठीक हो जाओगे . इन गोलियों में वह गुण है की चाहे वह जैसी खांसी हो, दो खुराक में चली जाती है. मरीज ने गोली लेने के लिए हाथ में पानी का गिलास लिया, इतने में वैध जी को जमकर खांसी का ठसका लगा. मरीज बोला- वैध जी !अच्छा होता,मुझे बताने से पहले आपने इसका प्रयोग कर लिया होता . लीजिये! ये गोली आप ले लीजिये."वैध जी मुंह बनाकर बोले-"मुझे तो बुदापे की खांसी है बेटा !"अब ये कौन सी होती है, शायद वे वैध ही जानते हो, पर हम एक बात जान ले क़ि जो हम दूसरों को समझाना या उपदेश देना चाहते है, उस पर पहले हम खुद अमल कर ले. ऐसा हो जाये तो यह संसार स्वर्ग बन जाये.
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